राम दरबार में प्राण प्रतिष्ठा: श्रद्धा, शिल्प और संस्कृति का ऐतिहासिक संगम

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अयोध्या एक बार फिर से इतिहास का साक्षी बना, जब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। 4 जून को अभिजीत मुहूर्त में शुरू हुआ यह आध्यात्मिक अनुष्ठान न केवल धार्मिक परंपराओं की पुनः पुष्टि थी, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई का भी प्रत्यक्ष प्रमाण था। इस आयोजन ने अयोध्या को रामभक्ति के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचा दिया।

योगी आदित्यनाथ ने किया पूजन, 6 घंटे तक अयोध्या में रहे मौजूद

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम दरबार की विधिवत पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने मंदिर परिसर में स्थापित सात अन्य उप-मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा में भी भाग लिया। उन्होंने इस ऐतिहासिक आयोजन को “आध्यात्मिक एकता और संस्कृति का उत्सव” बताया और श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं।

मंदिर की पहली मंज़िल पर विराजे राम दरबार

राम दरबार को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की पहली मंज़िल पर स्थापित किया गया है, जहां भगवान श्रीराम के साथ मां सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और भक्त हनुमान की संगमरमर की मूर्तियाँ विराजमान हैं। ये मूर्तियां जयपुर में तैयार की गई हैं और मकराना के शुद्ध सफेद संगमरमर से निर्मित हैं, जो न केवल सुंदरता का प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय मूर्तिशिल्प की उत्कृष्टता भी दर्शाती हैं।

हीरे, सोना और चांदी से जड़ा राम दरबार – श्रद्धा में धन की आहुति

इस आयोजन की भव्यता उस क्षण और बढ़ गई जब सूरत के प्रमुख हीरा कारोबारी मुकेश पटेल ने राम दरबार के लिए विशेष आभूषण दान किए। इनमें शामिल थे:

  • 1000 कैरेट का हीरा
  • 300 ग्राम सोना
  • 30 किलो चांदी
  • 300 कैरेट रुबी से बने 11 मुकुट
    इसके अलावा, आभूषणों में तिलक, कुंडल, गले का हार, धनुष-बाण, तुणीर, गदा और चांवर भी शामिल हैं। ये सभी वस्तुएं चार्टर्ड फ्लाइट से अयोध्या भेजी गईं और श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को समर्पित की गईं।

विहिप ने किया आभार व्यक्त: “यह सिर्फ दान नहीं, भक्ति का सर्वोच्च स्वरूप है”

विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश नेवादिया ने आभूषण दान की पुष्टि करते हुए कहा कि यह दान श्रद्धा और आस्था की पराकाष्ठा है। उन्होंने बताया कि मुकेश पटेल वही भक्त हैं जिन्होंने 22 जनवरी 2024 को रामलला के लिए मुकुट दान किया था।

विशिष्ट आमंत्रण: केवल 350 लोगों को दी गई आमद की अनुमति

इस बार आयोजन को अधिक संयमित और पवित्र वातावरण में संपन्न कराने के लिए लगभग 350 विशिष्ट जनों को आमंत्रित किया गया। इनमें ट्रस्ट के अधिकारी, संत, महंत और प्रमुख धार्मिक प्रतिनिधि शामिल रहे।

सप्त मंडपम: भारत की आत्मा के प्रतीक ऋषियों और भक्तों की प्रतिष्ठा

राम दरबार के अलावा सप्त मंडपम में महर्षि वाल्मीकि, विश्वामित्र, वशिष्ठ, अगस्त्य, निषादराज, अहिल्या और शबरी की मूर्तियां स्थापित की गईं। इन मूर्तियों की प्रतिष्ठा के अनुष्ठान 3 जून से आरंभ हुए थे और आज विधिवत पूर्ण हुए।

अयोध्या फिर बनी राम राज्य की प्रेरणा, श्रद्धा से सराबोर वातावरण

यह आयोजन केवल मूर्तियों की स्थापना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक नवजागरण का प्रतीक था। अयोध्या ने एक बार फिर सिद्ध किया कि वह भारत के आध्यात्मिक हृदय की धड़कन है। प्राचीन संस्कृति, आधुनिक भव्यता और गहन श्रद्धा का यह संगम अब भारतीय इतिहास में एक नए अध्याय के रूप में अंकित हो चुका है।

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